ब्राह्मणस्य देहोयम
न भोगाय कदाचन I
अपितु क्लिष्टतपसे
लोकाभ्युदय हेतवे II
लोकाभ्युदय हेतवे II
ब्राह्मण का शरीर कभी इस संसारके सुखोका
उपभोग करके जीवन को व्यर्थ करने हेतु नहीं है ,
उपभोग करके जीवन को व्यर्थ करने हेतु नहीं है ,
परन्तु कठिन तपस्याओ से गुजर कर
इस विश्व का कल्याण करने हेतु है II
इस विश्व का कल्याण करने हेतु है II
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